महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के कोर कमेटी के मेंबर नीतीश दीवान गिरफ्तार, 24 फरवरी तक ईडी की रिमांड

 महादेव ऑनलाइन बुक के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के कोर कमेटी के मेंबर नीतीश दीवान गिरफ्तार, 24 फरवरी तक ईडी की रिमांड

महादेव बुक केस में कोर कमेटी में शामिल नीतीश दीवान को प्रवर्तन निदेशायल (ईडी) ने गिरफ्तार कर लिया है। ईडी के वकील सौरभ पांडे ने बताया कि नीतीश को स्पेशल कोर्ट में पेश किया गया, जहां उसे 24 फरवरी तक ईडी की रिमांड में भेजा गया है। यहां ईडी पूछताछ करेगी और केस से जुड़े लोगों की पतासाजी करेगी। इससे पहले नीतीश दीवान को दिल्ली एयरपोर्ट से पिछले साल 6 नवंबर को पकड़ा गया था, लेकिन ईडी ने पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया गया था। नीतीश दीवान वही शख्स है जिसने आइफा अवार्ड में फिल्म इंडस्ट्रीज के बड़ी हस्तियों को अवार्ड दिए थे। नीतीश और उसका भाई महादेव बुक के प्रमोटर सौरभ चंद्राकर के बहुत ही करीबी हैं। सौरभ चंद्राकर के कोर कमेटी के मेंबर हैं। दोनों भाई दीवान पैनल भी ऑपरेट करते हैं। बता दें कि इस केस में फंसे कारोबारी अनिल दम्मानी एक दिन पहले ही जेल से बाहर आए हैं। हाईकोर्ट से मेडिकल ग्राउंड पर उन्हें 8 हफ्तों की अंतरिम जमानत मिली थी।

जानकारी के अनुसार भिलाई के वैशाली नगर रहने वाला नीतीश दीवान दुबई में महादेव ऐप के संचालक सौरभ चंद्राकर के साथ जुड़ गया था। जानकारी के मुताबिक नीतीश महादेव ऐप की अर्निंग का लेखाजोखा देखने लगा। इसके बाद सौरभ चंद्राकर ने उसे अपने काले कारोबार के कोर कमेटी का मेंबर बना दिया। इस तरह वह महादेव ऐप सट्टा का मुख्य किरदार बन गया। इसके बाद सौरभ चंद्राकर के भाई गितेश चंद्राकर के साथ फिल्म में पैसा लगाने लगे। ईडी ने महादेव बुक पर जब मनी लॉन्ड्रिंग की कार्रवाई शुरू की तो नीतीश का नाम सामने आया। ईडी ने भिलाई में इसकी जांच की तो पता चला कि नीतीश भी सौरभ चंद्राकर के खास लोगों में से है। नीतीश दीवान के खिलाफ ईडी ने लुक आउट सर्कुलर (एलओसी) जारी कराया था, जिसक बाद नवंबर में इसे एयरपोर्ट से पकड़ा गया था।

ईडी के अनुसार, महादेव ऑनलाइन बुक के कॉल सेंटर नेपाल, श्रीलंका, यूएई में हैं। महादेव बुक के फाउंडर इसी तरह के 4-5 बुक यूएई से चला रहे हैं। ये सभी बुक से हर दिन लगभग 200 करोड़ रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, महादेव ऑनलाइन बुक ऐप एक बड़ा सिंडिकेट है, जो अवैध सट्टेबाजी वेबसाइटों को नये यूजर्स को नॉमिनेट करने, उनकी आईडी बनाने और बेनामी बैंक अकाउंट में एनरॉल के जरिये रकम की हेराफेरी करने के लिए ऑनलाइन प्लैटफॉर्म मुहैया कराता है। बता दें कि पिछले महीने, वित्तीय धोखाधड़ी की जांच करने वाली जांच एजेंसी ने ऑनलाइन सट्टेबाजी मामले में 417 करोड़ रुपये की संपत्ति जब्त की थी।

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