शराब घोटाले में एपी त्रिपाठी को रेगुलर जमानत और महादेव बुक केस में मेडिकल ग्राउंड पर अनिल दम्मानी को मिली अंतरिम जमानत

 शराब घोटाले में एपी त्रिपाठी को रेगुलर जमानत और महादेव बुक केस में मेडिकल ग्राउंड पर अनिल दम्मानी को मिली अंतरिम जमानत

भूपेश बघेल सरकार में आबकारी विभाग के विशेष सचिव और छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी रहे अरुणपति त्रिपाठी को जमानत मिल गई है। शराब घोटाले मामले में अरुणपति त्रिपाठी मई 2023 से जेल में थे। एपी त्रिपाठी के जमानत पर सुनवाई बुधवार को हुई और गुरुवार को इसका आदेश हुआ है। वहीं, महादेव मामले में जेल में बंद कारोबारी अनिल दम्मानी को भी मेडिकल ग्राउंड के आधार पर अंतरिम जमानत मिल गई है। हाईकोर्ट से दोनों को जमानत मिली है। अनिल दम्मानी का जमानत आदेश बुधवार को हुआ था, जिसके आधार पर गुरुवार को वे जेल से बाहर भी आ गए हैं। 12 अप्रैल की शाम 4 बजे से पहले अनिल दम्मानी को स्पेशल कोर्ट में सरेंडर करना होगा। 8 हफ्तों के लिए उन्हें अंतरिम राहत मिली है। दोनों ही केस में बचाव पक्ष के वकील सीनियर एडवोकेट अमीन खान ने दोनों जमानत की पुष्टि की है।

शराब घोटाला केस में एपी त्रिपाठी को 12 मई को गिरफ्तार किया गया था। वहीं महादेव सट्टा ऐप के मामले की जांच कर रही ईडी की टीम ने पिछले साल 23 अगस्त को रायपुर और दुर्ग में छापेमारी कर कारोबारी अनिल और उनके भाई सुनील दम्मानी को गिरफ्तार किया गया था। एपी त्रिपाठी को रेगुलर जमानत मिली है तो वहीं अनिल दम्मानी को मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत मिली है।

जानकारी के अनुसार ईडी ने छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये की कथित शराब गड़बड़ी में एपी त्रिपाठी को पिछले साल मई में गिरफ्तार किया था। शराब गड़बड़ी में गिरफ्तार होने वालों में एपी त्रिपाठी चौथे थे। इनसे पहले कारोबारी अनवर ढेबर, त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित गिरफ्तार हुए थे। तीनों को जमानत मिल गई थी। मई में गिरफ्तार कारोबारी अनवर ढेबर को मेडिकल ग्राउंड के आधार पर जुलाई में अंतरिम जमानत मिली थी। इसी आधार पर करिश्मा ढेबर को अंतरिम अग्रिम जमानत मिली थी। बाद में त्रिलोक ढिल्लन और नितेश पुरोहित को अगस्त में अंतरिम जमानत मिल गई थी। इसके बाद तीनों की अंतरिम जमानत लगातार बढ़ाई जाती रही।

अक्टूबर में हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत खत्म कर दी थी, जिसके बाद ट्रायल कोर्ट ने अनवर ढेबर और करिश्मा ढेबर के खिलाफ ट्रायल कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया था। इस वारंट के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जब मामला पहुंचा तो सुप्रीम कोर्ट ने वारंट पर रोक लगा दी थी। दोनों की अंतरिम जमानत बहाल की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हाई कोर्ट को विशेष रूप से 18 जुलाई, 2023 के शीर्ष अदालत के आदेश के मद्देनजर अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश जारी करना चाहिए था, जिसमें जांच एजेंसियों को “हर तरह से अपने हाथ रोकने” के लिए कहा गया था। साथ ही आरोपियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं करने के लिए कहा गया था। जस्टिस कौल ने टिप्पणी की कि हमारे विचार में यह (उच्च न्यायालय द्वारा) हमारे आदेश का उल्लंघन है।

महादेव केस में दोनों भाईयों के अलावा एएसआई चंद्रभूषण वर्मा, सतीश चंद्राकर को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के विरोध में दोनों भाई ने रायपुर स्थित ईडी की विशेष अदालत में जमानत के लिए अर्जी लगाई थी। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत आवेदन खारिज कर दिया था। इसके बाद हाईकोर्ट में जमानत के लिए अर्जी लगाई गई थी। जनवरी में मामले की सुनवाई हुई, जिसमें दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत याचिका खारिज कर दी गई थी। बचाव पक्ष के वकील ने तर्क देते हुए कहा था कि याचिकाकर्ताओं को राजनीतिक दबाव में गिरफ्तार किया गया है। उनके खिलाफ सीधे तौर पर कोई साक्ष्य नहीं है और न ही रुपयों के लेनदेन का कोई रिकॉर्ड है। आगे यह भी कहा कि ईडी की पूछताछ पूरी हो चुकी है और अब उन्हें जेल में रखने का कोई औचित्य नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से सशर्त जमानत की मांग की थी। तब जमानत खारिज हो गई थी। अब फिर से मेडिकल आधार पर अनिल दम्मानी की जमानत अर्जी लगाई, जिसे स्वीकार कर लिया गया है।

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