बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव व राजस्व सचिव से शपथ-पत्र के साथ प्रदेशभर में लंबित राजस्व मामलों की मांगी जानकारी

 बिलासपुर हाईकोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव व राजस्व सचिव से शपथ-पत्र के साथ प्रदेशभर में लंबित राजस्व मामलों की मांगी जानकारी

हाईकोर्ट बिलासपुर में दायर एक याचिका ने प्रदेश भर के राजस्व कार्यालयों में हलचल मचा दी है। तहसील कार्यालय, बिलासपुर में लंबित राजस्व मामले का निराकरण नहीं होने पर दायर की गई इस याचिका की सुनवाई हाईकोर्ट में अब जनहित याचिका के रूप में होगी। कोर्ट ने प्रदेश के मुख्य सचिव व राजस्व सचिव से शपथ-पत्र के साथ प्रदेशभर में लंबित राजस्व मामलों की जानकारी मांगी है।

बिलासपुर की रोहणी दुबे ने तहसील कार्यालय में अपने राजस्व मामले का निराकरण नहीं होने पर एक व्यक्तिगत पिटीशन दायर की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि उसके प्रकरण का बेवजह निराकरण नहीं किया जा रहा है। “तहसील में रिश्वत का बोलबाला है” जिसके चलते उसके मामले का निराकरण नहीं हुआ।

इस याचिका पर सुनवाई शुरू होने के बाद कलेक्टर, बिलासपुर ने बड़ी संख्या में तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक और पटवारियों का स्थानांतरण कर दिया। दो रीडर व एक पटवारी को सस्पेंड भी कर दिया गया। इनमें वे लोग शामिल थे, जो लंबे समय से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं।

हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से बताया गया कि बिलासपुर में 497 अविवादित तथा 197 विवादित मामलों का निपटारा नहीं हुआ है। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की डिवीजन बेंच ने 90 दिनों में निपटारे का प्रावधान होने के बावजूद बड़ी संख्या में आवेदन लंबित होने पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए प्रमुख सचिव व राजस्व सचिव से प्रदेशभर में लंबित मामलों की जानकारी देने कहा है।

बहरहाल हाईकोर्ट ने लंबित राजस्व मामलों की जानकारी मांगी है, अब इस प्रकरण में जनहित याचिका के रूप में सुनवाई होगी। इसके लिए मुख्य सचिव व राजस्व सचिव को शपथ-पत्र दाखिल करना होगा।

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