बंदियों से ऑनलाइन रिश्वतखोरी मामले में हाईकोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर शुरू की सुनवाई
सारंगढ़ उप जेल में जेलर व प्रहरियों की पिटाई से 10 से अधिक बंदियों के घायल होने का मामला मीडिया में सामने आने के बाद हाईकोर्ट ने इसे स्वत: संज्ञान लेकर जनहित याचिका के रूप में स्वीकार कर सुनवाई शुरू की है। इसको लेकर हुई सुनवाई में हाईकोर्ट ने राज्य सरकार व डीजी जेल को नोटिस जारी किया था।
इस मामले में राज्य सरकार की ओर से बताया गया कि जेलर संदीप कश्यप और प्रहरी महेश्वर हिचामी और टिकेश्वर साहू को निलंबित कर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। साथ ही उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया गया है। इस दौरान दो बंदियों की ओर से जानकारी दी गई कि उनसे जेल प्रहरियों ने ऑनलाइन रिश्वत मांगी है।
ज्ञात हो कि कोर्ट में जब आरोपी जेलर और प्रहरियों पर एफआईआर तथा गिरफ्तारी की जानकारी दी, तब अधिवक्ता प्रियंका शुक्ला ने बंदी दिनेश चौहान और सागर दास महंत की ओर से बताया कि जेल के स्टाफ पेटीएम और दूसरे वालेट से ऑनलाइन रिश्वत लेते थे। उन्होंने 3500 रुपये के ट्रांजेक्शन के सबूत भी कोर्ट में प्रस्तुत किये।
बेंच ने इस पर हैरानी जताई कि रिश्वत ऑनलाइन ली जा रही है। कोर्ट ने पूछा कि रिश्वत देना भी एक जुर्म है। यदि ऑनलाइन रिश्वत मांगी गई तो इसकी शिकायत क्यों नहीं की गई। रिश्वत देने वालों पर भी कार्रवाई हो सकती है। इस पर अधिवक्ता की ओर से कहा गया कि प्रताड़ना और धमकी की वजह से बंदियों को रिश्वत देना पड़ता है। कोर्ट ने इसे लेकर भी DGP को जवाब दाखिल करने कहा है। मामले की अगली सुनवाई 19 मार्च को होगी।