एनसीपी नेता रामावतार जग्गी की हत्या के मामले में एक भी अभियुक्त ने नहीं किया सरेंडर
रामावतार जग्गी की हत्या के मामले में अभियुक्तों को आजीवन कारावास की सजा हाईकोर्ट में बरकरार रखे जाने के बाद बुधवार तक सभी 28 अभियुक्तों को ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करना था। लेकिन एक भी अभियुक्त ने सरेंडर नहीं किया है। 28 में से एक अभियुक्त की मौत हो गई थी। बाकी के 27 अभियुक्तों को पेश होना है, लेकिन हाईकोर्ट की तय तारीख तक किसी ने भी सरेंडर नहीं किया। सजा पाने वालों में तीन पुलिस अधिकारी अमरीक सिंह गिल, वीके पांडे और आरसी त्रिवेदी के अलावा महापौर एजाज ढेबर के भाई याहया ढेबर, अभय गोयल, फिरोज सिद्दीकी, अवनीश सिंह लल्लन, सूर्यकांत तिवारी, चिमन सिंह, सुनील गुप्ता, राजू भदौरिया, अनिल पचौरी, रविंद्र सिंह, रवि सिंह, लल्ला भदौरिया, धर्मेंद्र, सत्येंद्र सिंह, शिवेंद्र सिंह परिहार, विनोद सिंह राठौर, संजय सिंह कुशवाहा, राकेश कुमार शर्मा, (मृत) विक्रम शर्मा, जबवंत, विश्वनाथ राजभर हैं। बुल्टू पाठक और सुरेंद्र सिंह सरकारी गवाह बन गए थे।
4 जून 2003 को की गई इस हत्या के मामले में ट्रायल कोर्ट ने 31 आरोपियों में से 2 को सरकारी गवाह बना लिया था। 2007 में ट्रायल कोर्ट ने अमित जोगी को बाइज्जत बरी करते हुए 28 आरोपियों को सजा दी थी। अन्य अभियुक्तों की तरफ से हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई, जिसमें 2008 में उन्हें जमानत मिली थी। 4 अप्रैल को हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा, जिसमें उन्हें ट्रायल कोर्ट में 10 अप्रैल तक पेश होना था।
इस केस का फैसला आने के बाद सजा काट रहे दोषियों की तरफ से हाईकोर्ट में सजा के खिलाफ 22 अपील दायर की थी। इस अपील की सुनवाई लंबी चली, जिसमें हाईकोर्ट ने बहस के बाद 29 फरवरी को रामावतार जग्गी हत्याकांड के दोषियों की अपील पर अंतिम सुनवाई कर फैसला सुरक्षित रखा था। इस फैसले का आदेश 4 अप्रैल को जारी किया गया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस अरविंद वर्मा की डिवीजन बेंच ने आजीवन कारावास की सजा को बरकरार रखा है। बेंच ने फैसले में कहा है कि सभी दोषियों को एक हफ्ते में ट्रायल कोर्ट में सरेंडर करना होगा। सेशन कोर्ट में स्पेशल जज एस्ट्रोसिटी बीएल तिड़के ने सभी दोषियों को सजा सुनाई थी।