भूपेश बघेल सरकार के दौरान बने जाति प्रमाण पत्र की जांच कराएगी छत्तीसगढ़ सरकार
उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जाति प्रमाणपत्र को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि मुख्यमंत्री से निर्देश लेकर इन जाति प्रमाण पत्रों की जांच करवाई जाएगी । शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र नहीं बन रहे। इसका जवाब देते हुए डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने कहा कि कई फर्जी जाति प्रमाण पत्र बने हैं जिनकी जांच करवाई जाएगी।
मीडिया से चर्चा के दौरान विजय शर्मा ने कहा कि पिछले चार-पांच सालों में ओबीसी वर्ग के बहुत से जाति प्रमाण बने हैं। आदिवासी और अनुसूचित जाति वर्ग का तो पता नहीं लेकिन पिछड़ा वर्ग को मैंने देखा है। हिंदुओं में तो जाति प्रथा थोप दी गई है। जातियों के आधार पर आरक्षण दिया गया जिसका स्वागत है, मगर वह धर्म जिसमें जाति व्यवस्था ही नहीं है उनमें कैसे एसटी-एससी ओबीसी के जाति प्रमाण पत्र बन जाएंगे। ऐसा होने पर इन वर्गों के अधिकारों का तो हनन होगा ना। डिप्टी सीएम ने कहा कि अब मेरे पास प्रमाण है जिसमें बहुत ही स्पष्टता के साथ यह है कि बीते 4-5 सालों में ओबीसी के सर्टिफिकेट बनाए गए हैं।
उन्होंने मीडिया से बात करते हुए आगे कहा कि ऐसे प्रमाण पत्र बनने से ओबीसी वर्ग के लोगों के अधिकार का हनन हुआ है। ओबीसी वर्ग के लोगों को समान अवसर देने के लिए आरक्षण के तहत अधिकार दिए जाते हैं। अब उन सबके बीच आप दूसरों को ले आओगे तो उनके मौके कम होंगे। मुझे लगता है कि वोट बैंक की राजनीति के लिए ऐसे सर्टिफिकेट बनाए गए हैं।
इससे पहले भी फर्जी जाति प्रमाणपत्र से नौकरी हासिल करने और आरक्षण का फायदा उठाने के मामले सामने आ चुके हैं। साल 2023 में भी ये मामला चर्चा में आया तो सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय प्रमाणीकरण छानबीन समिति ने साल 2000 से लेकर 2020 तक फर्जी, गलत जाति प्रमाण पत्र के कुल 758 प्रकरणों की जांच की थी। इनमें 659 प्रकरणों का जांच के बाद निराकरण करके बाकी 267 प्रकरणों में जाति प्रमाण पत्र फर्जी पाए गए थे। कोर्ट के स्टे की वजह से इनपर कोई कार्रवाई नहीं हो पाई थी। यही वजह है कि साल 2023 में ही रायपुर में विधानसभा सत्र के दौरान दलित वर्ग के युवकों ने सड़कों पर नग्न प्रदर्शन किया था।